क्या आप अपने बच्चे का स्कूल में एडमीशन कराना चाहती हैं? यदि हां तो कुछ बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। सबसे पहले तो आप बच्चे की उम्र को लेकर अपना मन पक्का कर लें, क्योंकि आजकल दो से ढाई साल तक के बच्चों के प्री-स्कूल, प्री-टॉडलर्स बहुतायत में खुलने लगे हैं और कामकाजी माता-पिता के लिए ये बहुत उपयोगी भी साबित होते हैं। कई जगह तो 'क्रेच' (पालना घर) ही छोटे बच्चों के स्कूल बन गए हैं और 'डे बोर्रि्डग' स्कूल भी अब इन सब कमियों को अच्छे से पूरा करने में लग गए हैं।
-सबसे पहले बच्चे की उम्र वाले उपयोगी और निर्धारित स्कूलों का ही चयन करें।
-स्कूल की दूरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है।
-फिर आती है समस्या आने-जाने की। पैदल, रिक्शा, वैन, बस या आप स्वयं रोजाना बच्चे के साथ जा सकती हैं। कई जगह दादा-दादी या नाना-नानी भी यह भूमिका निभाते पाए जाते हैं।
-बच्चों को आपने 'टॉयलेट-ट्रेनिंग' (बाथरूम जाने की) दी है या नहीं। कई जगह यह जरूर पूछा जाता है।
-स्कूल का चुनाव अपने बजट के अनुरूप करें और अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही स्कूल का बजट बनाएं वरना बाद में आप परेशानी हो सकती हैं।
-स्कूल के क्लास रूम का वातावरण देखें।
-स्कूल की स्वास्थ्य सुविधाएं अवश्य देखें। वायु, रोशनी, धूप का समुचित प्रबंध स्कूल में होना अनिवार्य है।
-कक्षा में बच्चे अधिक न हों वरना टीचर्स प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं दे पाएंगे।
-खेलने की सुविधाएं मसलन सुरक्षित झूले, खेल का मैदान आदि जरूर हों।
-इंडोर एवं आउटडोर गेम्स का समुचित प्रबंध हो।
-आकर्षक और शिक्षाप्रद खिलौने हों।
-स्वीमिंग पूल सुरक्षित हो और शिक्षित ट्रेनर अवश्य हो।
-स्कूल में सुरक्षा के समुचित उपाय हों।
-पुस्तकालय (लाइब्रेरी), कम्प्यूटर आदि की उचित व्यवस्था हो।
-स्कूल का भवन कैसा है, ज्यादा सीढ़ी वाला, छोटा सा है, गली में है, ये सब बातें ध्यान में जरूर रखें।
-होम वर्क कैसे और कितना देते हैं? स्कूल में ही कराते हैं या अभिभावकों के ही जिम्मे होता है। ये सब जानकारी भी अवश्य करें।
-नियमित पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग होना भी स्कूल का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। अभिभावकों और अध्यापकों में संवाद कायम होना बच्चे और स्कूल दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
-बच्चे को स्कूल भेजने से पहले घर में उसे शिष्टाचार, मैनर्स (तौर-तरीके) आदि भी जरूर सिखाती रहें। कई जगह तो सामान्य ज्ञान की अच्छी खासी परीक्षा ली जाती है, इस पर भी नजर रखें।
-कई विद्यालयों में तो मम्मी-पापा का भी 'इंटरव्यू' होने लगा है। आप इससे भयभीत न हों। अपने ऊपर विश्वास रखें, प्रश्नों के उत्तर सहजता और सरलता से दें, जो बातें आपको नहीं मालूम उसके लिए सॉरी बोलकर यह कह सकती हैं कि जल्दी ही आप सीख लेंगी।
-आजकल बहुत से स्कूलों में बच्चों का हेल्थ रिकार्ड भी रखा जाता है। इसके लिए बच्चे के वैक्सीनेशन कार्ड और हेल्थ फाइल की फोटो कॉपी अवश्य जमा करवा दें।
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