अमर सिंह के सहारे पूर्वांचल भी साधेगी रालोद

अमर सिंह और जयाप्रदा ने कांग्रेस में जाने की अटकलों को विराम देकर सोमवार को राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का दामन थाम लिया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में मजबूत मानी जाने वाली रालोद अमर सिंह की मदद से पूर्वाचल में अपनी जड़ मजबूत करने के प्रयास में रहेगी। रामपुर से सांसद जयप्रदा व अमर सिंह को रालोद लोकसभा चुनाव में उतारने को तैयार है।  हाल में कांग्रेस में जाने को लेकर चर्चा मे रहीं जयाप्रदा ने रालोद का दामन थाम लिया है। आज अमर सिंह के साथ ही वह रालोद में शामिल हो गई। जयाप्रदा के रूप में जहां रालोद को एक चेहरा मिल गया है, वहीं अमर सिंह के आने से रालोद की पूरब में कमजोर पड़ी पकड़ मजबूत होने की संभावना बढ गई है, क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) में रहते हुए व लोकमंच के बैनर तले अमर सिंह ने पूरब में ही अपनी पूरी सियासी कसरत केंद्रित रखी थी। साथ ही, अजित सिंह जहां हरित प्रदेश के समर्थक हैं, वहीं अमर सिंह पूर्वाचल के। ऐसे में फिर छोटे राज्यों के मुद्दे को हवा मिलनी तय है। गौरतलब है कि कांग्रेस के साथ तालमेल कर लोकसभा चुनाव लड़ रही रालोद में अमर सिंह ने भी अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का विलय भी कर लिया है।

'बेटी' की हुई चिंता तो बिकने लगे स्कूटर

'बेटी' की हुई चिंता तो बिकने लगे स्कूटर
देश में लड़कियों की सुरक्षा और स्कूटर की बिक्री के बीच क्या संबंध है? आप चौंक गए होंगे। लेकिन इनके बीच संबंध है। लड़कियों की सुरक्षा को लेकर राजधानी दिल्ली और अन्य शहरों में जैसे-जैसे गंभीर सवाल उठ रहें हैं, देश में स्कूटरों की बिक्री भी उतनी ही तेजी से बढ़ने लगी है। मां-बाप सार्वजनिक वाहन में बेटियों और बहुओं को भेजने के बजाय स्कूटर से भेजना पंसद कर रहे हैं। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक मोटरसाइकिलों की बिक्री में लगभग तीन फीसद की बिक्री दर्ज की गई है, जबकि स्कूटरों की बिक्री 23 फीसद की रफ्तार से बढ़ी है। आज होंडा, हीरो, टीवीएस, सुजुकी को छोड़ दीजिए, सिर्फ दमदार व तेज रफ्तार मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी यामाहा भी इस बाजार में उतर गई है। ऑटो एक्सपो-2014 में कम से कम दर्जन भर नए स्कूटर पेश किए गए हैं। स्कूटर बाजार में मुख्य मुकाबला हीरो और इसकी पूर्व सहयोगी होंडा के बीच ही है। हीरो ने स्कूटरों की तीन नई रेंज उतारने का फैसला किया है। इन्हें अगले दो वषरें के भीतर भारतीय ग्राहकों के समक्ष बिक्री के लिए रखा जाएगा। इसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कंपनी होंडा भी कम नहीं है। भारतीय स्कूटर बाजार को नया जीवन देने वाली कंपनी होंडा अगले दो वषरें के भीतर तीन नए स्कूटी रेंज पेश करेगी। इनमें नई तरह की कई खास बातें होंगी, जो महिलाओं को ही ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं। यामाहा और टीवीएस की भी योजना ठोस तरीके से इस बाजार में आगे बढ़ने की है।

चलो तुम्हें पार्क में ले जाएं

चलो तुम्हें पार्क में ले जाएं
आजकल के दौर में बहुत से बच्चे टीवी, कंप्यूटर व इनडोर गेम्स में इतने मस्त रहते है कि न तो वे बाहर खेलने जाना चाहते है और न ही उनके माता-पिता के पास इतना समय होता है कि वे उन्हे बाहर घुमाने ले जाएं।
बाल मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए ठीक नहीं है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को पार्क इत्यादि घुमाने अवश्य ले जाएं। बस कुछ बातों का ध्यान रखें।
- पार्क ले जाते समय बच्चों को मौसम के अनुकूल वस्त्र पहनाकर ले जाएं। पार्क ले जाने के दौरान बहुत महंगे कपड़े न पहनाएं अन्यथा आपको और बच्चों को हर वक्त धूल-मिट्टी से कपड़े खराब होने का डर बना रहेगा और बच्चा खुलकर खेल भी नहीं पाएगा।
- आप चाहें तो बच्चों के साथ परिवार के अन्य लोगों और पड़ोसी के बच्चों को भी ले जा सकती है। वह लोगों के साथ तालमेल बिठाना सीखेगा। इससे आपके बच्चे का मानसिक और सामाजिक विकास सही ढंग से होगा।
- जब भी बच्चे को पार्क ले जाएं, अपने साथ कुछ इंडोर गेम्स जैसे लूडो, छोटा सा कैरम बोर्ड, अन्य प्रकार के गेम्स और बैडमिंटन, फुटबाल आदि अवश्य ले जाएं।
- बच्चे के साथ स्वयं भी खेलें। इससे उसको यह महसूस होगा कि आप उसकी कितनी फिक्र करती हैं।
- पार्क जाते समय पानी की बोतल व खाने का कुछ सामान अपने साथ अवश्य ले जाएं। कई बार खेलते-खेलते बच्चों को भूख लग आती है। खाने का सामान साथ होने पर बच्चे को बाहर की खुली चीजें खरीदकर देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे उसका स्वास्थ्य भी सही रहेगा।
- झूला झूलते समय बच्चे के पास रहे और उस पर बराबर नजर रखें कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए।
- पति की छुट्टी हो तो उन्हे भी साथ चलने को कहे। इससे बच्चों को आपके साथ समय बिताने में और मजा आएगा। साथ ही पति को भी कुछ बदलाव महसूस होगा।
- पार्क में अगर कर्मचारी है तो उनसे बच्चों की जान-पहचान अवश्य करवा देनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वे आपकी मदद कर सकें।
- बच्चों को घर से ही समझाकर ले जाएं कि पार्क में फूल-पली न तोड़े और न ही खाने-पीने की चीजें इधर-उधर फेंकें।
इला शर्मा

एडमिशन से पहले परखें स्कूल

एडमिशन से पहले परखें स्कूल
क्या आप अपने बच्चे का स्कूल में एडमीशन कराना चाहती हैं? यदि हां तो कुछ बातों को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। सबसे पहले तो आप बच्चे की उम्र को लेकर अपना मन पक्का कर लें, क्योंकि आजकल दो से ढाई साल तक के बच्चों के प्री-स्कूल, प्री-टॉडलर्स बहुतायत में खुलने लगे हैं और कामकाजी माता-पिता के लिए ये बहुत उपयोगी भी साबित होते हैं। कई जगह तो 'क्रेच' (पालना घर) ही छोटे बच्चों के स्कूल बन गए हैं और 'डे बोर्रि्डग' स्कूल भी अब इन सब कमियों को अच्छे से पूरा करने में लग गए हैं।
-सबसे पहले बच्चे की उम्र वाले उपयोगी और निर्धारित स्कूलों का ही चयन करें।
-स्कूल की दूरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है।
-फिर आती है समस्या आने-जाने की। पैदल, रिक्शा, वैन, बस या आप स्वयं रोजाना बच्चे के साथ जा सकती हैं। कई जगह दादा-दादी या नाना-नानी भी यह भूमिका निभाते पाए जाते हैं।
-बच्चों को आपने 'टॉयलेट-ट्रेनिंग' (बाथरूम जाने की) दी है या नहीं। कई जगह यह जरूर पूछा जाता है।
-स्कूल का चुनाव अपने बजट के अनुरूप करें और अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही स्कूल का बजट बनाएं वरना बाद में आप परेशानी हो सकती हैं।
-स्कूल के क्लास रूम का वातावरण देखें।
-स्कूल की स्वास्थ्य सुविधाएं अवश्य देखें। वायु, रोशनी, धूप का समुचित प्रबंध स्कूल में होना अनिवार्य है।
-कक्षा में बच्चे अधिक न हों वरना टीचर्स प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं दे पाएंगे।
-खेलने की सुविधाएं मसलन सुरक्षित झूले, खेल का मैदान आदि जरूर हों।
-इंडोर एवं आउटडोर गेम्स का समुचित प्रबंध हो।
-आकर्षक और शिक्षाप्रद खिलौने हों।
-स्वीमिंग पूल सुरक्षित हो और शिक्षित ट्रेनर अवश्य हो।
-स्कूल में सुरक्षा के समुचित उपाय हों।
-पुस्तकालय (लाइब्रेरी), कम्प्यूटर आदि की उचित व्यवस्था हो।
-स्कूल का भवन कैसा है, ज्यादा सीढ़ी वाला, छोटा सा है, गली में है, ये सब बातें ध्यान में जरूर रखें।
-होम वर्क कैसे और कितना देते हैं? स्कूल में ही कराते हैं या अभिभावकों के ही जिम्मे होता है। ये सब जानकारी भी अवश्य करें।
-नियमित पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग होना भी स्कूल का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। अभिभावकों और अध्यापकों में संवाद कायम होना बच्चे और स्कूल दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
-बच्चे को स्कूल भेजने से पहले घर में उसे शिष्टाचार, मैनर्स (तौर-तरीके) आदि भी जरूर सिखाती रहें। कई जगह तो सामान्य ज्ञान की अच्छी खासी परीक्षा ली जाती है, इस पर भी नजर रखें।
-कई विद्यालयों में तो मम्मी-पापा का भी 'इंटरव्यू' होने लगा है। आप इससे भयभीत न हों। अपने ऊपर विश्वास रखें, प्रश्नों के उत्तर सहजता और सरलता से दें, जो बातें आपको नहीं मालूम उसके लिए सॉरी बोलकर यह कह सकती हैं कि जल्दी ही आप सीख लेंगी।
-आजकल बहुत से स्कूलों में बच्चों का हेल्थ रिकार्ड भी रखा जाता है। इसके लिए बच्चे के वैक्सीनेशन कार्ड और हेल्थ फाइल की फोटो कॉपी अवश्य जमा करवा दें।

खूबसूरत चट्टानों की मिसाल है भेड़ाघाट









खूबसूरत चट्टानों की मिसाल है भेड़ाघाट
वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्यप्रदेश पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां की झीलें, पर्वत, नदियां, प्राचीन किले और हरा-भरा शांत वातावरण हमेशा ही सैलानियों को यहां आने के लिए आकर्षित करता रहता है। प्रकृति की एक मनोहारी स्वप्न भूमि
'भेड़ाघाट' ऐसा ही एक आकर्षक पर्यटन स्थल है जो अपनी ऊंची-ऊंची चट्टानों और झीलों के लिए जाना जाता है। भेड़ाघाट का वातावरण बेहद शांत रहता है। कहा जाता है कि एक बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 'जब इस जगह का दौरा किया तब उन्होंने कहा था कि जितनी शांति यहां है, वैसी अगर दुनिया में हो जाए तो क्या कहना!!'
संगमरमर चट्टानों की मनोहारी छंटा
भेड़ाघाट की खासियत नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊंची चट्टानें हैं। संगमरमर के लगभग दो किलोमीटर लंबे चट्टानों के आकार की अनूठी विविधा और विभिन्न मनोहारी रंगों की कोमल छटा देखते ही बनती है। सूरज की रोशनी इन सफेद और मटमैले रंग के संगमरमर चट्टानों पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है। इसके अलावा भेड़ाघाट और यहां के संगमरमर चट्टान की खूबसूतरी उस समय चरम पर होती है जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पड़ती है। इन संगमरमरी चट्टानों पर तेज प्रवाह से गिरता नर्मदा नदी का जल पर्यटकों को हमेशा ही आकर्षित करता है।
आजादी से पहले भारतीय यात्री कैप्टन जे. फोरसाइथ ने अपनी पुस्तक 'हाइलैंड्स ऑफ सेंट्रल इंडिया' में मध्य भारत की आकृतियों और प्राकृतिक सुंदरता के बारे में बहुत कुछ लिखा है। तब वह भेड़ाघाट की खूबसूरत चट्टानों की व्याख्या करने से खुद को रोक नहीं पाते थे।
'धुआंधार' जल प्रपात
यहां से कुछ ही दूरी पर 'धुआंधार' नामक प्रसिद्ध जल प्रपात भी है। यहां पवित्र नदी नर्मदा कुछ फीट नीचे खड्ड में गिरती है और फुहारों के साथ ऊपर उछलती है। यह नजारा विश्व में बहुत ही कम जगह देखने को मिलता है।
अगर आप भेड़ाघाट जाते हैं तो वहां बोटिंग का भी अनुभव ले सकते हैं। सैलानियों के लिए धूप में छल-छल चमकते पानी पर बोटिंग करना एक सुखद अनुभूति होती है। हर साल सैलानी नवंबर से मई के बीच यहां पहुंचकर मात्र 20 रुपए में रोमांचकारी बोटिंग का लुत्फ उठाते हैं।
कैसे पहुंचें
भेड़ाघाट के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर (23 किलोमीटर) है। दिल्ली और भोपाल आदि से जबलपुर के लिए नियमित रूप से फ्लाइट उड़ान भरती है। एयरपोर्ट के अलावा जबलपुर एक बहुत बड़ा रेलवे जंक्शन भी है। यहां से आप बस, टैंपो, टैक्सी आदि लेकर भेड़ाघाट आसानी से पहुंच सकते हैं।